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पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
No. Pratyahara indicates to bring the senses inside. That is, closing off external notion. Stambhana fixes the notion inside of by Keeping the imagined even now plus the feeling.
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
कभी उड़ान नहीं भर पाएगी जेट एयरवेज, सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइन के ऐसेट्स बेचने का दिया आदेश
न कवचं नार्गलास्तोत्रं read more कीलकं न रहस्यकम् ।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)